हमारा प्रभु यीशु संसार का सर्वोत्तम संपर्क साधने वाला रहा है। उसने अपनी शिक्षाओं को लोगों तक फुँचाने के लिए कहानियाँ सुनाने को सबसे अधिक प्रयुक्त किया - दृष्टांत, जिनमें दिन-प्रतिदिन के जीवन से उदाहरण और चरित्र लेकर उसने अपने सन्देशों को सजीव बनाया। इन अनेक दृष्टांतों के द्वारा उसने लोगों के मनों में सत्य के लिए एक भूख, एक जिज्ञासा उत्पन्न करी।
आज भी कहानी सुनाना खोजी हृदयों तक सन्देश पहुँचाने का प्रभावी माध्यम है। कहानी द्वारा लोगों के हृदयों तक सशक्त रीति से सन्देश पहुँचाया जा सकता है और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आवश्यक जानकारी पहुँचायी जा सकती है। किसी प्रवचन में से हमें "तीन मुख्य बातें" नहीं वरन उस में दिये गए उदाहरण सबसे अधिक स्मरण रहते हैं। आरंभ से ही जीआरएन ने मसीह यीशु की विधि का अनुसरण किया है और बाइबल की कहानियों के द्वारा आत्मिक सच्चाईयों को बताया है जिसके बहुत अच्छे परिणाम भी रहे हैं।
एक विस्मरणीय उदाहरण कई वर्ष पहले घटा। किसी अन्य मिशन से संबंधित एक मिशनरी जोड़े को अफ्रीका में ऊपरी वोल्टा (वर्तमान बुर्कीना फासो) के एक ऐसे कबीले में जाने के लिए कहा गया जहाँ पहले सुसमाचार कभी नहीं पहुँचा था। जब वे वहाँ पहुँचे तो उन्हें यह जानकर अचरज हुआ कि इस कबीले में जहाँ कभी कोई प्रचार के लिए नहीं आया था लोग यीशु के बारे में जानते थे। पन्द्रह वर्ष पहले हमारे दल ने इस कबीले के लिए उनकी भाषा में रिकॉर्डिंग करी थी। उस कबीले के लोगों ने उन रिकॉर्डिंग की सभी कहानियों को याद कर लिया था और उद्धार के मार्ग को किसी मिशनरी के वहाँ आने से वर्षों पहले ही जान लिया था!
आज भी बाइबल की कहानियों से जीवन आकर्षित होते हैं और पाप के विषय में दोषी ठहरते हैं। सबसे अधिक प्रभावी होने के लिए कहानी को स्थानीय आवाज़ में सुनाया जाना चाहिए जिससे विदेषी उच्चारण के कारण सुनने वाले का ध्यान कहानी से ना भटके। बाइबल से ली गई कहानी, स्थानीय आवाज़ और परमेश्वर के लोगों की प्रार्थनाओं के मिले-जुले प्रभाव से आज भी उद्धार के मार्ग की वह पुरानी कहानी समस्त संसार में लोगों के जीवन बदल कर नया बना रही है।.